| मैली वरदी तन मिलै, बालक बिखर्या बाल। मारै डंडा मास्टर, हो ावै बेहाल।।601।।
 बालपणौ विस्तार दांणां फोड़ा दीखवै, मिलियौ गेह गरीब।
 नांणा अलगा नीसरै, तड़फ मजूरी तीव।।602।।
 बालक छोटौ विवसता, पेट भरण पंपाल। जाय कमाई करण नै, बारह बरस विचाल।।603।।
 बिन माइत बालकपणौ, हालत खोटी होय। दर दर भठकै देनगी, रे किसमत नै रोय।।604।।
 सगला साथी सांयना, पढण जाय पौसाल। वीखै बाल मजूरिया, झलै मजूरी झला।।605।।
 गाभा फाट्या मेल घण, काट्या जमिया काय। नाणा धोणाही बिना, बाल मजूरी जाय।।606।।
 दर दर सहरां देखलौै, रती न झूठ हजूर। एंठयोड़ा, कप होटलां, धोवै बाल मजूर।।607।।
 मालक हरखै मौज सूं, छैल मसतियां छांण। हालै कईक होटलां, बाल मजूरां पांण।।608।।
 बंध पड्या फाइल बिचै, सरकारी कानून। धजियां उडती देख घ, कवि किम धारै मून।।609।।
 घर धाया नोकर घमा, राखै बालक रूप। भांत भांत सोसण भुगत, काया हुवै करूप।।610।।
 खोटी नीतां खायगी, मैंणत बाल मजूर। सोसण बाल सरीर रौ, करवै मिनख करूर।।611।।
 भूंडा घण बरताव बस, मारै बाल मजूर। लाजै लिखता लेखनी, नीत दरिंदा नूर।।612।।
 रेल टेसण स्टेण्ड बस, नैनप सूखै नूर। पालिस करता पगरियां, मिलवै बाल मजूर।।613।।
 रमता सांईना रमत, देखै बाल मजूर। कलप काय मुरझाय मन, निस दिन उतरै नूर।।614।।
 हहालै कईक होटलां, अधरातां तक आज। बाल मजूरी बारणै, रही थालियां मांझ।।615।।
 पनरै घण्टा पीलवै, कजघांणी कमठांण। ऊंघै बाल मजूरिया, खरीज लातां खांण।।616।।
 घर सू भाजै बालघण, झिलै कुमाणस जाल। जेब काटणी तसकरी, पापी धंधा पाल।।617।।
 पड़िया बदनीती पुरस, लोकतंत्र रै लार। मिलगत बाल मजूरियां, धंध फंद धिक्कार।।618।।
 पढबा रा दिन पूगवै, गीगौ गायां गैल। चांपौ फिरै चरावतौ, खरौ मजूरी खेल।।619।।
 घोना लारै गीगली, एवड़ लहै उछार। कांकड़ फिरै चरावती, मजदूरी री मार।।620।।
 दसा मजूरां देनगी, घरै न मास्टर ध्यांन। पइसा बिन परिवार रौ, जीणौ मुसकल जांण।।621।।
 ब्यालू करिया बालक्यां, ठाला रहै न ठीक। कहण बात अरजी करै, दादी जा नजदीक।।622।।
 पींपौ तौ खाली पड्यौ, आसी कठूं उधार। दादी रौ मन दूमनौ, लगै न बातां लार।।623।।
 मैंणत थाकी मावड़ी, चिंता घर ना चून। कहवै काई कांणिया, खिण रिख सूखै खून।।624।।
 कांी कहवै कांणिया, पेखौ तांण न पांण। मजदूरां बणगौ मही, जीवण कां'णी जांण।।625।।
 भोली विरती बालकां, लागै दादी लार। सुणियां बातां ही सरै, नैणां नींद निहार।।626।।
 जोबन बरस अठदस बिताविया, कांनांटाल किसौर।
 जोबन आयौ झींकता,ं दीन मजूरां दौर।।627।।
 खांवण रा जांदा खरा, ताकत भोजन तांय। मिल ै जिसौ घर मेलिया, औज कठासूं आय।।628।।
 घी दपटाऊ घालणौ, दूध पीण दो सेर। जद जोबन री जिंदगी, लगनी बहवै लैर।।629।।
 मच्छी गोडां ना पड़ै, साथल पींडी सूख। सीनौ चिपियौ सासतौ, भोग गरीबी भूख।630।।
 चिपै पांसली पेटचस, नीं चमकीलौ नूर। कमजोरी आ कायरी, चाहत जीवन चूर।।631।।
 बुकियां गांठां नी बणै, पेख करज लुलपीठ। पसवाड़ा काला पड्या, दीन जवानी दीठ।।632।।
 लवणपणौ मुख ना लियौ, उरड़ न आय उरोज। बरस अठारै बायली, चिकुर न लम्बा चोज।।633।।
 कदली सी जंघा कठै, पींपल पान न पेट। सावल नीं जोबन सकौ, थकी मजूरण थेट।।634।।
 भोजन आछा रै बिना, काय निरोकी केम। बीतै कर कर भांतरा, वड़िया जोबन वेम।।635।।
 दीखै नांही देह में, जोबन हंदौ जोह। परसीनै मेलापणै, वप फेंके बदबोह।।636।।
 काट्या जमिया कांन ढिग, गल पींडी सै गात। मंड्या जबरा मांडणा, हां मजदूरां हात।।637।।
 धूल पसीनो मेल घट, बसण हुवा बदरंग। काया जोबन कांमणी, उचकै नांही अंग।।638।।
 गहरी चिंता घेरियौ, कांमी जोबनी काय। नाह सूख दोरप नखै, आंथमती आ काय।।639।।
 फटकारा जोबन फबै, फेसन फेनाफेन। फीकौ मजदूरां फकत, फोह देह फरकेन।।640।।
 मीलां कारखाना मही, जमै गिरद उर जार। मजदूरां जोबन मिल्यौ, खांसी और खेंखार।।641।।
 सगती बिना सरीर सूं, बोझ उठावै बौत। सांस ऊठणौ व्है सरू, प्रगटै जोबन पौत।।642।।
 तन दुखिया मन तड़फतौ, जोबन बीत्यौ जाय। मिनखा जलम मजूर रौ, पूरो ही दुख पाय।।643।।
 माथौ दूखै मोकलौ, कुलणी पींड्यां काय। मसती कठै मजूरियां, थाकल जोबन थाय।।644।।
 पूंजीवाद परताप सूं, बदवै देस विकार। थारै ऊपर ही थयौ, भारी कांधा भार।।645।।
 सांसौ गुमसुम सोरकौ, सहन करै संताप। सीर पांण जोबन सबल, सुख मजदूरां साफ।।646।।
 बालपणै दुख भुगतियौ, जोबन दुखड़ा जोय। सोरा किण दिन सांपरत, हां मजूर जग होय।।647।।
 गात ज जोबन गालियौ, कर मैंणत कड़पांण। पार मजूरां ना पड़ै, छोह जोह जग छांण।।648।।
 लोग लुगाई लागिया, घाटौ काढण गेह। जोबन पूरै झूंमिया, (पण) छली न दीधौ छेह।।649।।
 बूढापौ जोबन पाछौ जावतौ, करगौ घण कुचमाद।
 तन बोलायौ तेड़ियौ, बूढापै रौ वाद।।650।।
 हींचरती जोबन हलक, हींडै दुखां हिलाय। ताकीदी मजदूर तन, बूढापौ बतलाय।।651।।
 कमजोरी सीनौ कसी, टुरगी गोडां टेक। लुलगी कड़िया लाज में, दरस बूढापै देख।।652।।
 घम मैंणत जोबन गयौ, घाटौ गयौ न गेह। आंट बूढापै आ पड़ी, छांट कमाई छेह।।653।।
 कफ पित वात विकार सूं, वप घण रोग विकास। आय बूढापै ऊठगी, सोरा नांही सास।।654।।
 पूतां ने परणाविया, लहणौ माथै लेय। झिलै बूढापै जालमैं, सुरता चिंता सेय।।655।।
 बेरी बूढापै वजह, काया गी कुमलाय। माचौ पकड़ मजूरिया, बाकी जूण बिताय।।656।।
 बाप उडीकै बारणै, ओखद सुत ले आय। दवा मिली नी दूमनौ, (बड़ै) मून धार घर मांय।।657।।
 मूंगी घण औखद मिलै, वैध डाकदर वार। थाकै हूंस मजूर थल, पड़ै इलाज न पार।।658।।
 गिट गिट गोल्यां व्है गलै, ऐलरजी इधकाय। मायड़ बाप मजूरियां, पूरा ही दुख पाय।।659।।
 तर हरियल तरकारियां, गलै 'जूस' रा घूंट। सला डाकदर सांतरी, कसर कमाई कूंट।।660।।
 बेगा ही सुत बीनणी, जाय कमाी काज। मा बापां री मांदगी, देवै दिल दुख दाझ।।661।।
 पचपांणी हीड़ा पणै, दवा तणौ दसतूर। बूढापै भुगतावणी, मांदगियां मजदूर।।662।।
 नैणा सूं दीसै नथी, कमती सुणवै कांन। बोली धीमी बोलतां, घरै न कोई ध्यानं।।663।।
 दसन तणी खोटी दसा, कवा चबावै केम। पनपै कबजी पेटरी, भूंड मजूरां वेम।।664।।
 मांचौ पकड़ै मांदगी, ऊठ्या सास उठंत। दोरी बूढापै दरद, तन न मजूरां तंत।।665।।
 दिन दिन ऊठै देस सूं, सेवा रा संस्कार। समझै बीनणिया सुतन, बाप मात नैं भार।।666।।
 परवा करै न पोतरा, दादौ दादी दैंण। पिछम नकल परवारगा, नीर मजूरां नैंण।।667।।
 कमजोरी तन कराणै, डिगतौ बहवै डैंण। जोड़ायत बादी जुड़ी, बेसुद तन मुख बैंण।।668।।
 सरद सन्निणौ कुण करै, बेटा बेरुजगार। बूढापै हालत बुरी, हाम मजूरां हार।।669।।
 रहियां मजूर राजरा, पेंसन आछी पाय। चिलमा सेवा चकारी, कड़क नोट करवाय।।670।।
 बूढापौ आपौ बगै, जीव हताई जाय। मजदूरां मन मांयली, मन मांही रह जाय।।671।।
 मौत  रिब रिब भोगै रुजपणौ, पूरी दवा न पाय। मजदूरां री मुफलिसी, मौत बिना मर जाय।672।।
 बगत ऐन आवै बिलू, लाग डाकदर लांण। पूग्यां पैली डागदर, उडै मजूरां प्रांण।।673।।
 भर जोबन रुज भोगनै, मर जावै मजदूर। कूक मचै घर कुटम्बियां, काल बडोई क्रूर।।674।।
 आज पिता क्यूं आंगणै, सूता ओढ सफेद ?नैना टाबर नासमझ, बिलखत पूछै भेद।।675।।
 माता तूं रोवै मत,ी जाग जावसी तात। दसा बाल घर देखनै, बस ना समझण बात।।676।।
 चिरनिंद्रा सूता अचल, तातज खूंटी तांण। लारै छूट्यौ लोक लग, दुख दोरप घर दांण।।677।।
 सगा सम्बन्धी रोय सब, आंगणियै मिल आज। हां टाबर कोतक हियै, समज न रीत समजा।।678।।
 इतरौ दिन चढ आवियौ, तोय न उठ्या तात। नखै जांण न दवायती, बालक समझ न बात।।679।।
 खांपण मूंझर बांसखप, नर चंदण नारेल। बेगा जाय बजार सूं, मिनख मंगावै मेल।।680।।
 छेह्लौ नांण करायछित, पट धवला पैराय। मुख तुस सोनो मेलबा, अबै कठासूं आय।।681।।
 सीडी गूंथ समजा रा, सीर परकमा खाय। आंगणियै सब ऊठता, गिगन कूक गूंजाय।।682।।
 परणी रोवै पीव नै, भाी नै घण बैन। बेटी रौ रौ बाप नै, नीरस कविया नैंण।।683।।
 जामण रोवै जोध नै, कूक सकल कुल धूम। मारग लियौ मसाण रौ, होवण दाग हजूम।।684।।
 रांम नांव सत बोलता, सत बोल्यां गत साथ। सीडी रै बारी सरां, हां दै कांधा हाथ।।685।।
 चुणदी चिता मजूर री, लाम्पौ पूत लगाय। चालत लोकाचार रै, आंसू ओरूं आय।।686।।
 करिया क्रिया कपाल री, छित जागां छुडवाय। थ्यावस सूं दै थेपड़ी, जद सब नांवण जाय।।687।।
 डाट्यां कर में डाबड़़ौ, दाग अंजली देय। गीला गाभा पैर घर, आय गमी रै गेय।।688।।
 नीर धार बिच न्हांखता, गैलै सुधी गुजार। छांटो मंदिर लेय छुट, और सांपड़ै आर।।689।।
 घर नांणा दांणा नहीं, माडै मौसर मांड। लेणौ कर लाडेसरां, खरीज लावै खांड।।690।।
 दोरा ूपर देखलौ, अमली जमिया आय। भर चलुवां ऊदर भरै, चाय ऊपरै चाय।।691।।
 दोरा पै बारह दिनां, चलै हताई चोल। फटकारा हाथां फिरै, गमी बात घर गोल।।692।।
 जीमण रांधै जीमबा, लहणौ बौ'रां लेय। धरै अडांणै गेह घर, दुखी ब्याज दर देय।।693।।
 दिन बारै खचा दपट, फडोा दीवण फैर। पाछा नहीं पधारसी, लोग स्वारथी लैर।।694।।
 औसर खोटौ आयगौ, छोडौं मौसर छाप। कम खर्चौ जीवण कियां, इज्जत रहसी आप।।695।।
 पूंजीवाद  विस्व मांय दिन दिन वधै, पूंजीवाद प्रभाव। मुसकिल घमौ मजूरियां, दहे धनिक ना दाव।।696।।
 जग साम्ही सोसम जकौ, पोसण पणौ पखाय। खोसण सुख मजदूरियां, दोसण सका दिखाय।।697।।
 मूंघी लाय मसीन री, छुडा मजूरां लार। नित नित छंटी नावं सूं, व्है मजूर बेकार।।698।।
 धाया देसां री धरां, हुवै न आपां होड। सगती मावन सांवठी, (वठै) के मसीन रौ कोड।।699।।
 विस्व बैंक होगी वसू, अमरीका, आदेस। भांत भांत सूं बांधनै, दुखी करै घण देस।।700।।
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